Thursday, January 29, 2009

अपने उजालेपन के साथ चलता हूँकभी एक घने जंगल मेंकभी अकेले घर मेंएक दुनिया गुजर जाती हैदूसरा ढूढताहूँमेरा कुछ छुट जाता हैकुछ कीमती कुछ रद्दीमै जीये जाता हूँएक अजनबी बनकरकुदरत के चेहरों को देखकरहर संवाद बयां करता हूँअपने उजालेपन के साथ चलता हूँ

Thursday, January 8, 2009

karoge yad to har bat yad yayegi , gujre waqt ki har moj thar jayegi