Saturday, September 27, 2008

मेरी सबसे प्यारी कविता

आज सुबहाकुछ यूँ हुआ किबारिश के पानी के तालाब मेंतैरती दिखी एक कागज़ की नावऔर वही खड़ी ताली बजातीहंस रही थी छोटी बहनवो नावदरअसल एक कविता थीजो उतारी थी मैंने कागज़ परकल रात हीकविता में कई नए शब्द थेऔर नए भाव भीप्रमथ्यु के दर्द की बात थीऔर अंधेरे -उजालों की बातें भीसफेदपोशों की धज्जियां भी थींऔर जिंदा जलाये जाते मुर्दों का ज़िक्र भी थाबातें बहुत सारी थीं जहान भर कीकुछ ऐसी ही थीवो कविताजो फिलहालतैर रही थी बारिश के जमे पानी मेंगंदले शब्द घुल रहे थे उथले पानी मेंऔर मैं,मैं देख रहा था दम साधेकि कैसेएक कविता को तैरते देखहंस रही थीमेरी सबसे प्यारी कविता

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