Monday, November 21, 2011

प्यार ने पूछा ...


प्यार ने पूछा ज़िन्दगी क्या है?
हमने कहा तेरे बिन कुछ नहीं.
उसने फिर पूछा दर्द क्या है?
हमने कहा जब तू संग नहीं.

प्यार ने पूछा मोहब्बत कहा है?
हमने कहा मेरे दिल में कही.
उसने फिर पूछा खुदा कहा है?
हमने ने कहा तुझमे कही.

प्यार ने पूछा हमसे इश्क क्यों है?
हमने कहा उसको भी पता नहीं
उसने फिर पूछा इतनी बेचैनी क्यों है?
हमने कहा इसमें कसूर मेरा नहीं.

प्यार ने पूछा एतबार करोगे मेरा ?
हमने कहा तुमसे बढकर कोई नहीं.
उसने फिर पूछा साथ दोगे मेरा ?
हमने कहा क्यों नहीं क्यों नहीं!!…

प्यार क्या है ?


प्यार...
क्या है यह ?
लफ्ज़ नहीं है सिर्फ़
जिसे बांध लिया जाए
किसी सीमा में
और खत्म कर दिया जाए
उसकी अंतहीनता को

प्यार...
वस्तु भी नहीं है कोई
यह तो है एक अहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है

प्यार...
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगों से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल कल करता
बूंद को सागर कर जाता है

प्यार...
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
कंटीली राह पर चल कर भी
जीवन को फूलों सा महकाता है !!

Saturday, November 12, 2011


किससे बोलू ,कोई गूंगा तो मिले
कहाँ जाऊ ,कोई रास्ता तो मिले
खोजती है आँखे कोई चेहरा तो मिले
रुकना कहाँ है कोई किनारा तो मिले ||
चल पड़ा हूँ तलाश में
कोई समझने वाला तो मिले
किससे जोडू लकीर ,कोई फकीर तो मिले
कैसे करू तन्हाई दूर ,कोई राही तो मिले
किससे करू प्यार कोई मुर्दा तो मिले .....किससे करू प्यार ,कोई मुर्दा तो मिले
किससे बोलू ,कोई गूंगा तो मिले ||
:शिवेन्दु राय