Monday, January 23, 2012

मुझ से कहती हैं खामोश निगाहें तेरी
आ मुझ में उतर तुझको मैं इश्क सिखा दूं

मेरी बाहों के दायरे में समा तो सही
आ तुझे मैं अहसास-ऐ-मुहब्बत दिखा दूं

हज़ारों ख्वाब हैं रखे मैंने संभाल के
आ तुझे तेरे ख्वाबों से मिला दूं

उतरा तेरे सीने का दर्द मेरे सीने में
आ तुझे गले लगा ये दर्द मिटा दूं

मुश्किलें दूर कर मैं दूं ' भरत ' सारी
आ खोयी मुस्कान वापस मैं दिला दूं..