Saturday, January 16, 2010

कुछ हो गया

ये क्या हुआ, कुछ हो गया है
बदली फिजा है, बदली है दुनिया
धुप में सर्दी, रातें हैं गर्म
ये क्या हुआ, कुछ हो गया है !

भूलने लगा हूँ मैं अब सब कुछ क्यूँ
नींद में भी क्यूँ चलने लगा हूँ
हर वक़्त खुद को तकने लगा
ये क्या हुआ, कुछ हो गया है !

हर वक़्त लगते हो साथ तुम क्यूँ
बंद आँखों को दिखते हो तुम क्यूँ
रोज सपनों में आते हो तुम क्यूँ
ये क्या हुआ, कुछ हो गया है !

बिन वजह में क्यूँ मुस्कुराता हूँ
सोचते सोचते क्यूँ हँसता हूँ
बैठे बैठे क्यूँ गुम होता हूँ
ये क्या हुआ, कुछ हो गया है !

जब से मिले तुम, बदली है ज़िन्दगी
हर ख़ुशी अब लगती है अपनी
जो ना सोचा था वो हुआ है
जाने क्यूँ हमारा मिलन हुआ
एक दूजे के हो गए अब हम
ये क्या हुआ, कुछ हो गया है !

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