Sunday, December 26, 2010

शब्द देश के नाम ....

स्वप्न देखा था कभी जो आज हर धड़कन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है
एक नया भारत, कि जिसमे एक नया विश्वास हो
जिसकी आँखों में चमक हो, एक नया उल्लास हो
हो जहाँ सन्मान हर एक जाति, हर एक धर्म का
सब समर्पित हो जिसे, वह लक्ष्य जिसके पास हो
एक नया अभियान अपने देश पर जन - जन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है
बढ़ रहे हेई हम प्रगति की ओर, जिस रफ्तार से
कर रहा हमको नमन, यह विश्व भी उस पार से
पर अधूरी है विजय जब तक गरीबी है यहाँ
मुक्त करना है हमें अब देश को इस भार से
एक नया संकल्प सा अब तो यहाँ जीवन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है
भूख जो जड़ से मिटा दे, वह उगाना है हमें
प्यास ना बाकी रहे, वह जल बहाना है हमें
जो प्रगति से जोड़ दे, ऐसी सड़क ही चाहिए
देश सारा गा सके वह गीत गाना है हमें
एक नया संगीत देखो आज तो कण कण में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में

Tuesday, December 21, 2010

लम्हा भर की मुस्कराहट ...........

लम्हा भर की
मुस्कुराहट
और जिंदगी
भर का रोना ,
गरीबी ही
मेरी
अब तो हे
ओड़ना और बिछोना ,
आंसुओं में
भिगोके
जिंदगी को
क्यूँ यूँ
डुबोता हे
उठ चल
आगे चल
देख ले
जिंदगी में
तेरे कोशिश करे
तो बस
सामने हे
सोना ही सोना ।
हिला हाथ
उठ ज़मीं से
उठा ले
ज़मीं पर
पढ़ा यह सोना
वरना
पढ़ा पढ़ा
कोसता रह
अपनी किस्मत को
के जिंदगी में
तेरे हे
रोना ही रोना
होसलों को
बना पंख
एक उड़ान तो भर
फिर देख ले
जो चाहेगा
वही होगा
ओढना तेरा
वही होगा बिछोना तेरा ।

Monday, December 13, 2010

दो टूक!

आज मेरे दोस्तों ने ही मुझे तन्हा बना दिया ,
हम अच्छे थे पर उन्होंने बुरा बना दिया ,
खैर हमें उनसे कोई शिकवा गिला नहीं
क्योंकि उन्होंने मुझसे मेरा परिचय करा दिया |

पवन गुप्ता जी के कलम से .....

हर तरफ़ है अंधेरा
मैं अंधा तो नहीं ।
करता हूँ तेरी ही पूजा
तू रब का बंदा तो नहीं ।

फ़िरता हूँ तेरी ही तलाश में ,
मैं मुसाफ़िर तो नहीं ।
रब‍‍ से माँगता हूँ तेरी ही भीख़
मैं फ़कीर तो नहीं ।

हर चेहरे पर तेरा चेहरा दिख़े
मैं दिवाना तो नही ।
बस तलाश है तेरे प्यार की
मैं परवाना तो नही ।


फ़ूलों से करता हूँ तेरी ही बातें
मैं भँवरा तो नहीं ।
भटकता हूँ तेरी ही याद में
मैं आवारा तो नहीं ।

हर बात से ड़रता हूँ मैं
मैं कारयर तो नहीं ।
बिना सोचे ही चलती है यह कलम
मैं शायर तो नहीं ।

Wednesday, December 1, 2010

दिल की पीड़ा !

ढूढता है दिल उनका पता ,जो रात सपने में आये
ललसायी आँखों में मुरझाये स्वप्न लिए ,
पूछा मुझसे क्या जगह दोगे अपने दिल में .
घबराया मैं अंतर मन में ,
स्वप्न है या हकीक़त मेरे मन में ,
बदन में है तब से सिहरन ,
सुबह हुई हम तार तार हो गए ,
उनकी याद में हम बेकरार हो गए ,
अगली रात एक नवयावाना मेरे सपने में आई ..........