हर तरफ़ है अंधेरा
मैं अंधा तो नहीं ।
करता हूँ तेरी ही पूजा
तू रब का बंदा तो नहीं ।
फ़िरता हूँ तेरी ही तलाश में ,
मैं मुसाफ़िर तो नहीं ।
रब से माँगता हूँ तेरी ही भीख़
मैं फ़कीर तो नहीं ।
हर चेहरे पर तेरा चेहरा दिख़े
मैं दिवाना तो नही ।
बस तलाश है तेरे प्यार की
मैं परवाना तो नही ।
फ़ूलों से करता हूँ तेरी ही बातें
मैं भँवरा तो नहीं ।
भटकता हूँ तेरी ही याद में
मैं आवारा तो नहीं ।
हर बात से ड़रता हूँ मैं
मैं कारयर तो नहीं ।
बिना सोचे ही चलती है यह कलम
मैं शायर तो नहीं ।
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