जो मिट्टी अब तक भूरी थी
वो अब लाल हो गयी
आज मैंने
क़त्ल किया है,
अपनी मुहब्बत से नहीं
तिजारत से भी नहीं
बस इतना कहा
मत उलझो मेरे ताने-बानों में, मत फँसो मेरे ज़ंजीरों में,
मत बनो कठपुतली मेरे सपनों की
आज़ाद कर दिया आसमान जैसे पिंजरे से |
वो अब लाल हो गयी
आज मैंने
क़त्ल किया है,
अपनी मुहब्बत से नहीं
तिजारत से भी नहीं
बस इतना कहा
मत उलझो मेरे ताने-बानों में, मत फँसो मेरे ज़ंजीरों में,
मत बनो कठपुतली मेरे सपनों की
आज़ाद कर दिया आसमान जैसे पिंजरे से |
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